ग्वालियर
ग्वालियर खंडपीठ ने पीएचई विभाग में तैनात चेतन शर्मा की अपील को खारिज कर दिया है। इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही चेतन शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे चुका था। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि एफआईआर दर्ज करने का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को दोषी ठहरा दिया गया है। दोषसिद्धि केवल जांच और ट्रायल की प्रक्रिया के बाद ही तय होगी।
दरअसल, यह पूरा मामला ममता पाठक की याचिका से जुड़ा हुआ है। ममता पाठक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चेतन शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि चेतन शर्मा लगातार उनके लंबित भुगतान को टालते रहे और अनावश्यक दबाव बनाते रहे। ममता पाठक अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत हैं और उनका कहना था कि बार-बार भुगतान की मांग के बावजूद उन्हें उचित राहत नहीं दी गई।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्पष्ट कर दिया कि स्पेशल रिलीफ एक्ट के प्रावधान के तहत याचिकाकर्ता को इस स्तर पर राहत नहीं दी जा सकती। साथ ही चेतन शर्मा की अपील को भी खारिज कर दिया गया।
इस तरह हाईकोर्ट की यह टिप्पणी न केवल इस मामले में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किसी भी कर्मचारी या अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर केवल जांच की शुरुआत होती है, और उसे अंतिम दोषसिद्धि मानना गलत है।
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