पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई के बाद पीएम मोदी का भाषण, चार बड़े संदेश

- अभीक देब
- बीबीसी संवाददाता
भारत की 'आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई' में 'ऑपरेशन सिंदूर' ने एक 'न्यू नॉर्मल' स्थापित किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संदेश में ये बात कही है.
पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की मौत की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के भीतर और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में 'आतंकवादी ढाँचे ' पर मिसाइल हमलों के पाँच दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भाषण दिया.
भारत के इन हमलों ने परमाणु हथियारों वाले दो देशों के बीच सैन्य तनाव और टकराव बढ़ा दिया था.
ये तनाव शनिवार को दोनों देशों में सैन्य अभियान रोकने पर बनी समझ के बाद ख़त्म हुआ.
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हालांकि, सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़ोर देकर कहा कि भारत ने अपने हमलों को सिर्फ़ स्थगित किया है.
पीएम मोदी ने कहा, "आने वालों दिनों में हम पाकिस्तान के हर क़दम को इस कसौटी पर मापेंगे कि वो क्या रवैया अपनाता है."
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पीएम मोदी ने ये कह कर घरेलू स्तर पर अपने समर्थकों में दिख रहे असंतोष को शांत करने की कोशिश की है.
उनके समर्थक पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान रोकने और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आक्रामक अभियान जारी न रखने से असंतुष्ट थे.
विशेषज्ञों के मुताबिक़ मोदी के भाषण में भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता का ज़िक्र न होना भी अहम बात थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका ने 'मध्यस्थता करके भारत और पाकिस्तान के बीच तुरंत और पूर्ण संघर्ष विराम कराया'.
अमेरिका के दख़ल का ज़िक्र नहीं

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राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अलावा, अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी शनिवार को दावा किया था कि अमेरिका ने ही भारत और पाकिस्तान को बातचीत के लिए तैयार किया था.
रुबियो ने तो ये दावा भी किया था कि दोनों देश 'विस्तृत मुद्दों पर तटस्थ स्थान पर बातचीत शुरू करने के लिए तैयार हो गए हैं.'
शनिवार रात को दिए भाषण में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सिर्फ़ अमेरिका का ही नहीं बल्कि ब्रिटेन, तुर्की, सऊदी अरब, क़तर, यूएई और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का तनाव कम करने के लिए शुक्रिया अदा किया था.
लेकिन इसके उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी तीसरे देश की भूमिका को स्वीकार नहीं किया.
उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ़ इसलिए पीछे हटा क्योंकि 'भारी नुक़सान झेल रहे पाकिस्तान ने भारत के सैन्य अभियानों के महानिदेशक (डीजीएमओ) से संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान आगे किसी भी तरह की आतंकवादी घटना नहीं करेगा और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा.'
अंतरराष्ट्रीय मामलों की वरिष्ठ पत्रकार इंद्राणी बागची मानती हैं कि अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने इस विषय पर भारत की दीर्घकालिक नीति को ही दोहराया है.