नई दिल्ली
एक शर्मनाक खबर सामने आई है। टीवी चैनल पर चल रही एक राष्ट्रीय डिबेट के दौरान भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने मर्यादा की सारी सीमाएं लांघते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत के प्रति आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया।
डिबेट का विषय हाल ही में चर्चा में आया "ऑपरेशन सिंदूर" था, जिसमें पाकिस्तान और पीओके को लेकर दोनों प्रवक्ता अपने-अपने दृष्टिकोण रख रहे थे। बातचीत के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने ऑपरेशन में अमेरिका की भूमिका और पीओके पर भारत की नीति को लेकर सवाल उठाया, जिसके बाद प्रेम शुक्ला भड़क उठे और उन्होंने सुरेंद्र राजपूत के साथ-साथ कांग्रेस नेतृत्व पर भी अभद्र टिप्पणियां कर दीं।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रेम शुक्ला ने लाइव कार्यक्रम के दौरान सुरेंद्र राजपूत को "मां की गाली" दे दी। यह देख चैनल एंकर को दोनों प्रवक्ताओं के माइक बंद करवाने पड़े ताकि स्थिति को संभाला जा सके।
यह पहली बार नहीं है जब प्रेम शुक्ला विपक्षी दलों के प्रति इस तरह की भाषा का प्रयोग करते पाए गए हैं। पहले भी उनके बयानों को लेकर विवाद खड़ा होता रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के लिए नुकसानदायक बताते हुए कह रहे हैं कि लगातार बढ़ती इस तरह की घटनाओं से पार्टी की सार्वजनिक छवि प्रभावित हो रही है। कई सोशल मीडिया यूज़र्स इसे "विनाश काले विपरीत बुद्धि" जैसी स्थिति करार दे रहे हैं।
अब सवाल ये है कि क्या राजनीतिक बहसों का स्तर इस हद तक गिर चुका है कि अब मर्यादा और सम्मान की कोई सीमा नहीं बची?