ग्वालियर।
जिला प्रशासन ने ग्वालियर को कुपोषण से मुक्त करने के लिए कमर कस ली है। कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान के नेतृत्व में शुरू हुआ यह अभियान अब जनआंदोलन का रूप लेता जा रहा है। खास बात यह है कि इस अभियान में पंचायत स्तर पर सरपंचों को भी सक्रिय रूप से जोड़ा गया है।
कलेक्टर ने जिले के सरपंचों के साथ जमीन पर बैठकर संवाद किया और उनके साथ भोजन भी किया, जिससे यह संदेश गया कि कुपोषण के खिलाफ लड़ाई सबकी साझी जिम्मेदारी है। इस अवसर पर कलेक्टर ने सरपंचों से अपील की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए हरसंभव प्रयास करें।
उन्होंने स्पष्ट किया कि "कुपोषण किसी भी जिले के माथे पर कलंक है, और इसे मिटाना हम सबका दायित्व है।" 15 अगस्त तक ग्वालियर को पूरी तरह कुपोषण मुक्त बनाने का संकल्प लिया गया है।
सरपंचों ने भी कलेक्टर को आश्वासन दिया कि वे अपने गांवों में घूमकर कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगे और उन्हें पोषण से जोड़ने के हर संभव प्रयास करेंगे।
गौरतलब है कि जिले के घाटीगांव, पुरानी छावनी, मुरार, डबरा और भितरवार क्षेत्र के कुछ हिस्सों में कुपोषण की समस्या सामने आई है। ऐसे में यह प्रयास ना सिर्फ एक जरूरी कदम है बल्कि सामाजिक चेतना का प्रतीक भी बन रहा है।
कलेक्टर की इस पहल की चौतरफा सराहना हो रही है। यह अभियान न सिर्फ एक सरकारी योजना है, बल्कि एक संवेदनशील और सामूहिक संकल्प भी है, जो आने वाले समय में ग्वालियर को एक कुपोषण मुक्त जिले के रूप में स्थापित कर सकता है।