ग्वालियर।
पहली ही बारिश ने ग्वालियर की सड़कों पर घटिया निर्माण की ऐसी परत उखाड़ी कि सत्ता से लेकर सिस्टम तक में हड़कंप मच गया!
महज़ दो महीने पहले बनी सड़कें बारिश में धँस गईं, उखड़ गईं, बह गईं... और फिर सवाल उठने लगे — ठेकेदार कौन था? अफसर कौन थे? और... कमिशन किसका था?
💥 सिंधिया का एक्शन, भोपाल से टीम रवाना!
जब बात ग्वालियर की हो और बात सड़क की हो — तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप नहीं रहने वाले।
उन्होंने साफ कहा – “खराब सड़कों पर कार्रवाई ज़रूरी है।”
उनकी फटकार के बाद भोपाल से मुख्य अभियंता प्रदीप एस मिश्रा के नेतृत्व में टीम ग्वालियर पहुंच गई और सड़क सैंपल लेकर जांच शुरू कर दी।
🧪 मिट्टी नहीं, भ्रष्टाचार की परतें निकलीं!
मुख्य अभियंता मिश्रा ने माना कि कई सड़कों पर भारी जलभराव है और सड़कें टेक्निकली फेल हुई हैं। अब कोर-कटिंग टेस्ट के ज़रिए तय होगा कि किसने कितनी चोरी की है!
👉 मिश्रा ने कहा –
> "जांच के बाद एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा, अगली बार क्वालिटी से समझौता नहीं होगा।
🔥 सिंधिया महल रोड: 15 दिन में 12 बार धँसी सड़क!
सबसे शर्मनाक हालात तो सिंधिया महल की ओर जाने वाली उस सड़क के हैं जो VIP रोड मानी जाती है।
2 महीने पहले बनी, लेकिन महज़ 15 दिन में 12 बार धँस गई।
👉 जनता में गुस्सा, कांग्रेस ने बोला हमला
👉 प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बाइक से किया निरीक्षण
👉 दो अधीक्षण यंत्री सस्पेंड
📌 अब क्या होगा?
✅ भोपाल टीम ने सैंपल लिए
✅ 48 घंटे में रिपोर्ट
✅ दोषी अफसर और ठेकेदारों पर FIR की तैयारी
✅ ग्वालियर की सड़कों पर अब क्वालिटी चेक शुरू
🗣️ जनता पूछ रही है — सड़क बनेगी या फिर "जांच कमेटी रोड" ही चलेगी?
बारिश के साथ ग्वालियर की सड़कें नहीं, सिस्टम की साख भी बह गई।
सड़क को लेकर अब भले ही राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं और प्रशासनिक अधिकारी भी फिलहाल आई मुसीबत से बचने की जुगत ढूंढ रहे हैं लेकिन सड़कों की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। शहर में अतिक्रमण और ड्रेनेज सिस्टम को चॉक करने की इतनी व्यापक कोशिश हुई है कि सड़क सीवर और जल भराव की समस्याएं आए दिन शहर के अलग-अलग हिस्सों में आती ही रहेंगी ।स्टेट काल में सखिया विलास से होकर निकले नाले को महल से होते हुए स्वर्ण रेखा नदी तक ले जाया जाता था। लेकिन अब नाका चंद्रवदनी के पुल से ही नाले के भीतर सैकड़ो कच्चे पक्के निर्माण खुले तौर पर हो चुके हैं। सिंधिया रियासत की क्षत्री के पीछे से गुजरने वाले नाले को चेतकपुरी तक आते-आते पूरी तरह से कवर कर लिया गया है। इससे स्टेट टाइम का ड्रेनेज सिस्टम प्रभावित हुआ है । अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की फुर्सत न तो शासन को है न ही सरकार को सुध है। क्योंकि शायद अतिक्रमणकारी प्रभावशाली लोग हैं।
अब देखना है कि जाँच की इन फाइलों से सड़कें बनती हैं या फिर सिर्फ बयानबाज़ी चलती है।
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