📍 नीमच | The Xpose Express
नीमच जिले में 2009 में हुए चर्चित बंशी गुर्जर एनकाउंटर मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। CBI नई दिल्ली की टीम ने जांच में पाया कि जिस व्यक्ति को पुलिस ने बंशी गुर्जर बताकर एनकाउंटर में मारा था, वह दरअसल रामपुरा थाने में बंद एक व्यक्ति था।
CBI ने 18 पुलिस अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। इनमें बड़वानी के एएसपी अनिल पाटीदार, इंदौर क्राइम ब्रांच के मुख्तियार कुरेशी, धार डीएसपी विवेक गुप्ता सहित कई नाम शामिल हैं। सभी आरोपी फिलहाल फरार हैं।
कैसे हुआ फर्जी एनकाउंटर?
CBI की जांच में सामने आया कि रामपुरा थाने में बंद एक पागल जैसे दिखने वाले शख्स को नए कपड़े पहनाकर बंशी गुर्जर का रूप दिया गया। इसके बाद बेसला घाट पर एनकाउंटर का नाटक रचा गया। मृतक की जेब में बंशी गुर्जर का पहचान पत्र रखा गया।
सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जी एनकाउंटर के लिए 35 लाख रुपए की डील हुई थी।
इन पर दर्ज हुआ हत्या का केस
अनिल पाटीदार (बड़वानी एएसपी)
मुख्तियार कुरेशी (इंदौर क्राइम ब्रांच)
विवेक गुप्ता (धार डीएसपी)
टीआई मंगल सिंह पपोला
प्रधान आरक्षक श्यामलाल सिंह, वेणीराम
आरक्षक अनोखलीलाल, अनवर, भगवानसिंह, फतेहसिंह, मनुरव्दीन, कमलेंद्र, सैय्यद उवेश अली, चर्तुभुज गुर्जर
इन सभी के खिलाफ धारा 302, 120-B, 119, 193, 201 के तहत प्रकरण दर्ज हुआ है। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं, और सभी आरोपी ड्यूटी से गायब हैं।
अब तक की कार्रवाई
डीएसपी ग्लेडविन कार, तत्कालीन रामपुरा टीआई, नीरज प्रधान और दुर्गाशंकर तिवारी गिरफ्तार हो चुके हैं।
हाईकोर्ट से इनकी जमानत खारिज हो चुकी है।
पत्रकार मूलचंद खींची की जनहित याचिका पर 2014-15 में सीबीआई जांच के आदेश हुए थे।
याचिकाकर्ता ने तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा के खिलाफ भी हत्या का केस दर्ज करने की मांग की है।
👉 CBI की इस कार्रवाई को अब तक की सबसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।
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