भोपाल में शुक्रवार का नजारा राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा बटोर रहा है।
महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वो कसम तोड़ दी, जो उन्होंने ग्वालियर में लगभग 3 महीने पहले सबके सामने खाई थी।
📜 कसम क्या थी?
ग्वालियर में "संविधान बचाओ रैली" के दौरान दिग्विजय सिंह ने ऐलान किया था —
"अब मैं मंच पर नहीं बैठूंगा, मंच की होड़ में नहीं पड़ना चाहता… सिर्फ बोलने के वक्त ही मंच पर जाऊंगा।"
🎯 फिर क्या हुआ भोपाल में?
एक निजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने आए केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने, जब अगली पंक्ति में बैठे दिग्विजय सिंह को देखा, तो सीधे उनकी ओर बढ़े।
गर्मजोशी से हाथ मिलाया और फिर बिना देर किए… हाथ पकड़कर मंच तक ले गए।
राजा भी महाराजा के इस आग्रह को ठुकरा नहीं सके और मंच पर जाकर बैठ गए।
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🤝 कड़वाहट से मोहब्बत तक?
भले ही दोनों नेताओं के बीच पिछले दिनों कड़वाहट रही हो, लेकिन इस मंच पर उनकी बॉडी लैंग्वेज ने कुछ और ही कहानी बयां कर दी।
साफ है — राजनीति में न दोस्ती हमेशा के लिए होती है, न दुश्मनी।
📌 निचोड़:
महाराजा के इशारे पर राजा ने अपनी कसम तोड़ दी… और राजनीति में एक नया ‘फोटो मोमेंट’ बन गया!
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