ग्वालियर की छात्रा काम्या नरवरिया ने दो साल पहले ओला इलेक्ट्रिक का स्कूटर बुक कराया था — नई तकनीक, ईको फ्रेंडली सवारी, और भरोसे का नाम बताकर कंपनी ने खूब प्रचार किया…
लेकिन जो मिला, वो तकनीक नहीं, सिरदर्द निकला!
काम्या ने ₹1,36,000 से ज्यादा चुका दिए, पर स्कूटर ने पहले ही हफ्ते में दम तोड़ दिया।
एजेंसी पहुंचीं तो बोला गया — “मैडम, इसमें तो बस सॉफ्टवेयर अपडेट करना है।”
अपडेट हुआ… लेकिन स्कूटर फिर भी नहीं चला!
उल्टा उसमें से “घर्र-घर्र” की आवाजें आने लगीं!
फिर एजेंसी ने कहा — “गाड़ी खराब है, दूसरी देंगे।”
लेकिन दिन बीतते गए, स्कूटर नहीं आया!
थक-हारकर काम्या को मजबूरन एक नया पेट्रोल स्कूटर खरीदना पड़ा।
ओला एजेंसी ने पैसे लौटाने से साफ मना कर दिया।
आख़िरकार मामला पहुंचा उपभोक्ता फोरम।
और अब फोरम ने सुनाया करारा फैसला —
👉 एजेंसी को आदेश दिया गया है कि काम्या नरवरिया को पूरी राशि और केस का खर्च लौटाएं।
और ये रकम डेढ़ महीने के अंदर लौटानी होगी।
⚡ इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचने वाले सोच लें —
“जो ग्राहक को ठगेगा, वो अब कानून का करंट जरूर खाएगा!”
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