ग्वालियर
दस साल में भी सीबीआई पीएमटी फर्जी वाडे़ के सॉल्वर को नहीं खोज पाई न ही दलाल से रिश्वत के रुपए बरामद कर सकी। फर्जी वाडे़ के आरोपी डॉक्टर राहुल शर्मा को मिर्गी के दौरे आते हैं इसलिए उसकी हैंडराइटिंग भी बदलती रहती है ।
इन्हीं सब तर्कों के चलते सीबीआई की विशेष कोर्ट ने पीएमटी फर्जीवाड़े से जुड़े मामले में फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी सहित बिचौलिए और दलाल को बरी कर दिया है।
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कोर्ट ने एक डॉक्टर और तीन दलालो सहित कुल चार आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी किया है।दरअसल बीते 5 जुलाई 2009 को आयोजित हुई पीएमटी परीक्षा में सॉल्वर के जरिये परीक्षा पास करने के आरोप में डॉ राहुल शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी,गुमनाम शिकायत पर ग्वालियर के झांसी रोड थाना पुलिस ने यह एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में दलाल सोनू शर्मा संतोष चौरसिया और धर्मेंद्र चंदेल के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में पहले एसआईटी फिर सीबीआई ने डॉक्टर राहुल को मुन्ना भाई बताते हुए आरोप लगाया था कि मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म की तर्ज पर राहुल की जगह किसी सॉल्वर ने पीएमटी में भाग लिया और वह पास भी हो गया। लेकिन सीबीआई कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सॉल्वर का पता नहीं लगाने के आधार पर डॉ राहुल शर्मा सहित दलाल सोनू शर्मा संतोष चौरसिया धर्मेंद्र चंदेल को बरी कर दिया। इनके बरी होने के पीछे साक्ष्य पर गौर किया जाए तो जांच एजेंसी को सॉल्वर मिला नहीं, पॉलीग्राफ टेस्ट में दलाल आरोपी ने रुपए लेना स्वीकारा पर रुपए बरामद नहीं हुए। सीबीआई केस के मुताबिक राहुल शर्मा ने पीएमटी पास करने सोनू शर्मा को 4 लाख दिए जबकि सोनू शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उसने धर्मेंद्र चंदेल के माध्यम से एडमिशन कराया धर्मेंद्र चंदेल ने कहा कि उसने संतोष चौरसिया की मदद से राहुल को पीएमटी पास कराई।