ग्वालियर में रविवार को भगवान परशुराम की पालकी का भव्य चल समारोह निकाला गया। शहर की सड़कों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। चल समारोह में एक दर्जन से अधिक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भाग लिया।
समारोह की शुरुआत अचलेश्वर महादेव मंदिर से हुई, जहां विधि-विधान से भगवान परशुराम की प्रतिमा का पूजन किया गया। इसके बाद पालकी यात्रा इंदरगंज चौराहा, पुराना हाई कोर्ट, ऊंट पुल, पाटनकर चौराहा और दौलतगंज होते हुए महाराज बाड़े पर पहुंचकर संपन्न हुई।
चल समारोह में भगवा झंडों के साथ युवाओं ने 'जय परशुराम' के जयकारे लगाए, वहीं महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर आयोजन में भागीदारी निभाई। मार्ग भर स्थानीय लोगों ने फूल बरसाकर जुलूस का स्वागत किया।
सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र पुलिस प्रशासन ने चाक-चौबंद इंतजाम किए थे।
परशुराम चल समारोह समिति के सदस्य पुनीत शर्मा ने बताया कि यह आयोजन दरअसल 29 अप्रैल को परशुराम जयंती पर होना था, लेकिन अनुमति न मिलने के कारण इसे रविवार को आयोजित किया गया।
उन्होंने यह भी बताया कि इस आयोजन में सभी जातियों के लोगों ने भाग लेकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं और उनकी जयंती वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है।
परशुराम चल समारोह ने ग्वालियर में धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता की एक खूबसूरत मिसाल पेश की।