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# ऑपरेशन सिंदूर, सीडीएस ने माना हमारे लड़ाकू जहाज गिरे, गलती सुधार फिर किया टारगेट पर हमला

 ऑपरेशन सिंदूर: अब सामने आ रही है सच्चाई


नई दिल्ली


केंद्र सरकार ने अब तक "ऑपरेशन सिंदूर" को लेकर जितनी चुप्पी साध रखी थी, वह अब धीरे-धीरे टूटने लगी है। देश की सुरक्षा और सैन्य रणनीति से जुड़ी यह चुप्पी अब चर्चा में है, खासकर तब जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने खुद यह स्वीकार किया है कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत के कुछ लड़ाकू जहाज गिरे थे।



जनरल चौहान ने भले ही यह नहीं बताया कि कितने जहाज गिरे या उन्हें किसने गिराया, लेकिन उन्होंने इतना जरूर कहा कि इस नुकसान पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है। उनका यह बयान भारत की सैन्य पारदर्शिता की दिशा में एक अहम कदम माना जा सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन के पहले चरण में हुई चूक के बाद, भारत ने अगले दो दिनों में उस गलती को सुधारा और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई कर उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया।



इस खुलासे से पहले, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने एक पॉडकास्ट में दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपने पांच लड़ाकू विमान खोए हैं। हालांकि, उन्होंने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान कौन से थे।


इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि अब "ऑपरेशन सिंदूर" की परतें खुलने लगी हैं। सेना ने पहले ही कहा था कि युद्ध जैसी स्थिति में कुछ हानि होती है, लेकिन अब तक इतनी स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई थी।


जनरल चौहान इस समय सिंगापुर में शांग्रीला डायलॉग के लिए पहुंचे हैं, जहां यह बयान दिया गया। ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच से दिया गया यह वक्तव्य केवल भारत ही नहीं, बल्कि वैश्विक सैन्य हलकों में भी गंभीरता से लिया जाएगा।


सवाल यह उठता है कि अगर इतने बड़े ऑपरेशन में नुकसान हुआ था, तो देश को पहले क्यों नहीं बताया गया? क्या यह गोपनीयता सुरक्षा कारणों से थी या फिर रणनीतिक मजबूरी?


अब जब खुद देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी ने यह स्वीकारोक्ति की है, तो सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह पारदर्शिता दिखाए और देशवासियों को सही स्थिति से अवगत कराए। इस बीच यह भी स्पष्ट है कि भारतीय सेना ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया और देश की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरती।


लेकिन अब वक़्त आ गया है कि "ऑपरेशन सिंदूर" से जुड़े तथ्यों को सामने लाकर, देश के नागरिकों का विश्वास और अधिक मजबूत किया जाए।



– महेश शिवहरे, वरिष्ठ पत्रकार

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