ग्वालियर | सोमवार, 30 जून 2025
- सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं: चौहान की ज़मानत याचिकाएँ निचली अदालत एवं हाई कोर्ट के बाद सर्वोच्च न्यायालय से भी खारिज
- ₹5,000 का पुलिस इनाम, पीड़िता ने अलग से ₹50,000 घोषित किए थे
- पीड़िता का दावा: “पत्नी बनाकर रखा, बेटा होने का सबूत डीएनए से देने को तैयार”
- रेत माफिया से साठगाँठ व अन्य महिलाओं से संबंधों के भी आरोप
केस का क्रोनोलॉजी – तेज़, सीधी भाषा में
- 15 जनवरी 2025 – ग्वालियर महिला थाने में IPC 376 समेत गंभीर धाराओं में FIR दर्ज।
- 18 जनवरी – चौहान निलंबित; लेकिन सरेंडर नहीं, सीधा अंडरग्राउंड।
- मार्च-अप्रैल – ज़िला कोर्ट व हाई कोर्ट से अग्रिम ज़मानत ठुकराई गई।
- मई – पुलिस ने ₹5,000 का इनाम घोषित किया; पीड़िता ने निजी तौर पर ₹50,000 का ऐलान कर दिया।
- 24 जून – सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए आत्म-समर्पण का आखिरी मौका दिया।
- 30 जून – एडीजे कोर्ट, ग्वालियर: चौहान पेश, जज ने मौके पर पुलिस अफ़सर बुलाकर ताबड़तोड़ हिरासत सौपी।
क्या हैं आरोप?
- “पत्नी बनाकर रखा” – पीड़िता का दावा, कई सालों तक शारीरिक शोषण।
- नाबालिग बेटे का ज़िक्र – “बच्चे का डीएनए करा लो, हक़ छीनना बंद करो।”
- रेत माफिया कनेक्शन – पहले से दर्ज मामलों में अवैध खनन की पैरवी, महिलाओं से तथाकथित ‘समझौते’।
अदालत में ड्रामा
- … चौहान ने जैसे-तैसे सरेंडर किया।
- वकील ने भरोसा दिलाया: “साहब ख़ुद आ गए, सहयोग करेंगे।”
- अदालत सख़्त: “पाँच महीने कहाँ थे? पहले जवाब दो, फिर किसी रियायत की बात होगी।”
अब आगे क्या?
- पुलिस रिमांड पर गिफ़्तार – अवैध खनन से लेकर यौन शोषण तक की परत-दर-परत पूछताछ।
- डीएनए टेस्ट जल्द – अदालत ने मेडिकल-लीगल औपचारिकताओं में त्वरित निर्देश दिए।
- भ्रष्टाचार शाखा की नजर – आय से अधिक सम्पत्ति की फ़ाइल भी खुल सकती है।
🟥 सिस्टम से सवाल, पीड़ित के साथ— न्याय होगा या फिर फाइलों के ढेर में दब जाएगा सच? नजर बनाए रखें, हम अपडेट देते रहेंगे!