नागौर
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने अपनी प्रस्तावित जनसुनवाई का आयोजन किया। इस बीच करणी सेना द्वारा उनके खिलाफ प्रदर्शन को पहले ही टालने की घोषणा कर दी गई थी।
फिर भी नागौर में रविवार को चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात रही। सांसद हनुमान बेनीवाल के घर, कार्यक्रम स्थल सहित अन्य शहर के पहुंच मार्गों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। सांसद बेनीवाल द्वारा पिछले दिनों कुछ राजपूत राजाओं के खिलाफ टिप्पणी करने पर करणी सेना ने उनके खिलाफ 8 जून को नागौर में रैली आयोजित कर विरोध प्रदर्शन की बात कही थी। करणी सेना के नेता राज शेखावत ने तो बुलडोजर चला कर बेनीवाल को सबक सिखाने की घोषणा की थी। लेकिन करणी सेना के स्थानीय संगठन और समाज का उन्हें सहयोग नहीं मिला ।वही करणी सेना के पदाधिकारियों में मतभेद भी देखे गए। जिला प्रशासन ने 2 दिन पहले ही नागौर में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी जिससे वहां लोगों का जमावड़ा नहीं हो सका। इसके उलट सांसद हनुमान बेनीवाल ने यहां अपनी पूर्व घोषित जनसुनवाई का आयोजन किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि वह किसी समाज के खिलाफ नहीं है। उन्हें समाज के कमजोर वर्ग एवं किसानों की लड़ाई के लिए आगे आना पड़ा है। नहीं तो उन्हें क्या जरूरत थी कि वो किसान आंदोलन में सत्ता का सुख छोड़कर अन्नदाता के साथ उनकी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो गए थे। करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव सिंह शेखावत ने भी एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि यदि राज शेखावत को अपनी घोषणा के मुताबिक प्रदर्शन करना था तो उन्हें क्षत्रिय समाज के सभी संगठनों को विश्वास में लेना चाहिए था। यदि उन्होंने सोशल मीडिया पर रैली की घोषणा कर दी थी तो उन्हें हर हाल में रैली का आयोजन करना चाहिए था, भले ही उनकी गिरफ्तारी हो जाती। फिलहाल जाट और क्षत्रिय एक दूसरे के सामने नहीं हो सके अन्यथा नागौर की कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी।दोनों ही समाजों ने अपने विवेक का परिचय देते हुए इस टकराव को टालने में अपनी भलाई समझी जिससे आपसी भाईचारा और सौहार्द बना रहे।