“बाबा साहब की प्रतिमा से क्यों डर रही है भाजपा-आरएसएस लॉबी?” – गांधीवादी संगम ने उठाए सीधे सवाल
ग्वालियर
उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना को लेकर चल रहा विवाद अब उबलने लगा है। यह विवाद एक बार फिर हिंसात्मक रूप में परिवर्तित होता जा रहा है ।पिछले दिनों भीम आर्मी के कार्यक्रम में प्रतिमा का विरोध करने वाले वकील अनिल मिश्रा, गौरव व्यास सहित पवन पाठक के नाम के लट्ठ प्रदर्शित किए गए थे। अब जिला न्यायालय परिसर में के बार रूम में वकीलों की टेबल के ऊपर लाठियां टांगी गई हैं। अंबेडकरवादी वकीलों का कहना है कि यह लाठी किसकी अनुमति से टांगी गई है और क्यों टांगी गई हैं, क्या इसके लिए बिल्डिंग कमेटी की अनुमति ली गई है। गांधीवादी संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. विष्णु कान्त शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा और आरएसएस से जुड़े वकीलों पर सीधे-सीधे साजिश रचने के आरोप जड़ दिए।
"अगर संविधान से इतनी चिढ़ है, तो खुलकर कहिए – बाबा साहब की प्रतिमा से परहेज़ क्यों?"
विष्णु कान्त शर्मा ने तीखे शब्दों में पूछा –
> "अगर यह विरोध स्वतःस्फूर्त नहीं, बल्कि सुनियोजित नहीं है, तो फिर अब तक देशद्रोही टिप्पणियां करने वालों पर एफआईआर क्यों नहीं? न्यायालय परिसर में लठ्ठ टांगने वालों को संरक्षण क्यों?"
🔥 गांधीवादी संगम के सीधे सवाल:
संविधान निर्माता की प्रतिमा से इतनी एलर्जी क्यों?
लठ्ठ लगाने वालों पर राजद्रोह का मुकदमा कब?
RSS-भाजपा से जुड़े वकील गुमराह क्यों कर रहे हैं?
क्या अदालत अब संविधान से ऊपर हो गई है?
"लठ्ठ के दम पर संविधान नहीं चलेगा, यह देश बाबा साहब की सोच से चलता है" – गांधीवादी संगम का कड़ा संदेश।
📌 विवाद का केंद्र:
14 मई 2025, दिनभर न्यायालय परिसर के बाहर एक वाहन में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पड़ी रही। अंदर ले जाने नहीं दिया गया।
जिन्हें संविधान पर सिर झुकाना था, वो अश्लील और जातिवादी टिप्पणी करने में जुटे थे।
एडवोकेट अनिल मिश्रा की कथित टिप्पणी – “मूर्ति नहीं बचने देंगे”,
भाजपा से जुड़े एडवोकेट गौरव व्यास और आरएसएस के कनकने द्वारा भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट –
क्या ये लोग संविधान के दुश्मन हैं?
💥 “लठ्ठ का जवाब संविधान से देंगे” – गांधीवादी संगम
> “जब संविधान को बदल नहीं पाए, तो अब संविधान निर्माता को मिटाने की कोशिश हो रही है।”
न्यायालय परिसर में लठ्ठ टांगना – न सिर्फ बाबा साहब का, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र का अपमान है।
किसकी अनुमति से टांगे गए लठ्ठ? किस बिल्डिंग कमेटी की मंजूरी थी?
अगर कोई स्वीकृति नहीं थी, तो फिर प्रशासन और सरकार क्यों मौन साधे बैठी है?
🤝 समर्थन में खड़े हुए समाजसेवी
घनश्याम राजपूत, शिवम् सिकरवार, जसवंत वर्मा, संगीता शर्मा और असलम शेर खान सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुलकर समर्थन दिया।
“प्रतिमा नहीं, यह अस्मिता का सवाल है” – उन्होंने कहा।
🛑 निष्कर्ष:
"लठ्ठ की राजनीति अब नहीं चलेगी। बाबा साहब की प्रतिमा रुकेगी नहीं, इतिहास में दर्ज होगी।"
"संविधान और बाबा साहब के सम्मान के लिए आख़िरी सांस तक लड़ेंगे, चाहे सामने सरकार हो या संघ का साया।"