Type Here to Get Search Results !
BREAKING NEWS

80% दिव्यांगता 100% हौसला - रोहित सिंह ने 2 गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

 🟠 "दिव्यांगता को नहीं, सपनों को बनाया हथियार… ग्वालियर के रोहित ने देशभर में गूंजा दिया नाम"


ग्वालियर के दिव्यांग पैरा आर्म रेसलर रोहित सिंह ने अपनी मेहनत और जुनून से वो कर दिखाया है, जो कई बार सामान्य खिलाड़ी भी नहीं कर पाते। केरल के त्रिशूर में आयोजित नेशनल पैरा आर्म रेसलिंग चैंपियनशिप 2025 में रोहित ने दो गोल्ड मेडल जीतकर मध्यप्रदेश और खासकर ग्वालियर का नाम राष्ट्रीय पटल पर चमका दिया। उनकी बहन खुशी ने भी कांस्य पदक  जीत कर अपने भाई का मान बढ़ाया ।भाई को ही वह अपनी प्रेरणा मानती है।


ठुकराई गई उम्मीदों से लेकर ओलंपिक के सपनों तक — रोहित सिंह का साहसी सफर

इससे पहले जनवरी में रोहित ने एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था। रोहित की इस उपलब्धि पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें राजधानी भोपाल बुलाकर सम्मानित किया और हौसला अफजाई की।



🔶 बचपन से सीपी यानी सेरेब्रल पाल्सी का शिकार, लेकिन हौसले को नहीं होने दिया कमज़ोर

रोहित सिंह बचपन से ही सेरेब्रल पाल्सी (CP) नाम की बीमारी से ग्रसित हैं, जिससे उन्हें बोलने, चलने और सामान्य क्रियाएं करने में गंभीर कठिनाई होती है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक वह करीब 80% तक दिव्यांग हैं।


लेकिन इस दिव्यांगता को उन्होंने अपनी कमज़ोरी नहीं बल्कि ताकत बनाया। रोज़ाना 4 घंटे की कठिन ट्रेनिंग और खुद पर अटूट विश्वास के दम पर रोहित आज देश के टॉप पैरा आर्म रेसलरों में शामिल हो चुके हैं।


🟢 मां-बाप की आंखों में आंसू, लेकिन अब गर्व 

रोहित की मां पिंकी सिंह कहती हैं

> “बचपन में उसकी बीमारी से बहुत डर गए थे, कभी सोचा नहीं था कि वो पूरे देश में नाम रोशन करेगा। आज वही बेटा हमें सबसे ज्यादा ताकत देता है।”



वहीं उनके पिता अरविंद सिंह, जो पुलिस विभाग में हैं, बताते हैं कि लोगों ने उनके बेटे को लेकर ताने दिए, सलाह दी कि दूसरा बेटा कर लो।


> “आज रोहित ने उन सबको अपने खेल से जवाब दे दिया है।”


🔷 केरल में 29 राज्यों के 1500 खिलाड़ियों में रोहित ने मारी बाज़ी

त्रिशूर में हुई चैंपियनशिप में देशभर की 29 राज्यों की टीमों के 1500 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। इसमें रोहित ने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि दो गोल्ड मेडल झटककर सबको हैरान कर दिया।


खास बात ये रही कि रोहित की छोटी बहन खुशी सिंह ने भी इसी प्रतियोगिता में भाग लिया और एक ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भाई-बहन की जोड़ी को खास बना दिया।


खुशी ने बताया


> “भैया मेरी प्रेरणा हैं। उन्होंने ही मुझे आर्म रेसलिंग में आने के लिए मोटिवेट किया।”


🟥 चल नहीं सकते, बोलने में दिक्कत, लेकिन सपना - ओलंपिक गोल्ड

रोहित सिंह न केवल देश के लिए खेलना चाहते हैं, बल्कि उनका लक्ष्य है कि वह आने वाले पैरा ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतें।


इसके लिए वे हर दिन अपने घर से कई किलोमीटर दूर जाकर प्रैक्टिस करते हैं। इसके लिए उन्हें कई बार टेम्पो और साधन बदलने पड़ते हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हारते।


> “अगर इच्छा हो तो रास्ता खुद बनता है,” — यही जिंदा मिसाल बन चुके हैं रोहित सिंह।



🟣 रोहित की कहानी सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है

दिव्यांगता को मात देकर अपने सपनों को जीने वाला ये खिलाड़ी अब सिर्फ ग्वालियर का नहीं, बल्कि पूरे देश का सितारा बन गया है। परिवार को भी पूरा यकीन है कि रोहित आने वाले ओलंपिक में देश का नाम रोशन करेंगे।


👉 द एक्सपोज़ एक्सप्रेस भी इस हौसले को सलाम करता है और कामना करता है कि रोहित सिंह जल्द ही ओलंपिक की रिंग में भी इतिहास रचें।


📝 रिपोर्टर: अनिल शर्मा

📍 The Xpose Express | “हम दिखाते हैं वो जो सब छुपाते हैं”

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Seamless Logo Marquee
Design by - Blogger Templates |