📌 रायसेन । द Xpose Express
हम दिखाते हैं वो जो सब छुपाते हैं…
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शाला नहीं…शरणालय बन गई है शिक्षा
रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील के ग्राम बेरखेड़ी ज़ोरावर की शासकीय प्राथमिक शाला की हालत इतनी जर्जर है कि बच्चों की पढ़ाई अब शाला भवन के बजाय दालानों में हो रही है।
20 छात्रों वाली इस शाला में दो शिक्षक—प्रधानाध्यापक गजराज सिंह और शिक्षिका प्रभा नायक तैनात हैं। लेकिन वर्षों से बिना मरम्मत के खड़े इस भवन की छतें अब टपकने लगी हैं। कमरे तो इतने असुरक्षित हैं कि बच्चे मजबूरी में पंचायत भवन, सरपंच या ग्रामवासियों के दालानों में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं।
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☔ बारिश में बदहाल हालात
बारिश शुरू होते ही हालात और बिगड़ जाते हैं। शाला का पहुंच मार्ग दलदल बन चुका है। अभिभावकों को सड़क किनारे पत्थर बिछाकर अस्थायी रास्ता बनाना पड़ा। बाथरूम टूट चुका है, कीचड़ और झाड़ियों में जहरीले कीड़े मंडरा रहे हैं।
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👩🏫 शिक्षकों की मजबूरी, बच्चों की बीमारी
सीलन भरी दालानों में बैठने से मासूम बच्चे बीमार पड़ने लगे हैं। शिक्षक कहते हैं—“मजबूरी है, पढ़ाना है तो कहीं भी पढ़ाना पड़ेगा।”
लेकिन सवाल है कि क्या ये मजबूरी बच्चों की जान से बड़ी है?
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📣 प्रशासन की सफाई
ब्लॉक शिक्षाधिकारी राजेन्द्र श्रीवास्तव का कहना है—
> “जिन भवनों की हालत खराब है, उनमें कक्षाएं न लगाएं। पंचायत भवन या किसी सुरक्षित स्थान पर कक्षाएं चलाएं। मरम्मत के लिए बजट की मांग वरिष्ठ अधिकारियों से की गई है।”
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❗ सवाल वही — जवाब अब भी अधूरा
क्या शिक्षा के नाम पर सिर्फ औपचारिकताएं ही बची हैं?
क्या बच्चों की सुरक्षा का कोई मोल नहीं?
और सबसे बड़ा सवाल — बजट का इंतज़ार कब तक?
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