उत्तर प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिनिमम वेज की राहत मिलने के बाद अब मध्य प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी भी सक्रिय हो गए हैं।
प्रदेश में लगभग एक लाख आउटसोर्स कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं। इनमें से 30 हजार से अधिक अकेले स्वास्थ्य विभाग में तैनात हैं। इसके अलावा बिजली विभाग, जिला न्यायालय, हाई कोर्ट, नगर निगम और नगर पालिकाओं में भी ये कर्मचारी वर्षों से सेवाएँ दे रहे हैं।
हालांकि, इन्हें न तो समय पर कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल मिल रहा है और न ही पगार। बिजली विभाग और न्यायालय के कर्मचारी तो नियमितीकरण और वेतन भुगतान दोनों को लेकर असमंजस में फंसे हुए हैं।
महज 10 हजार रुपये मासिक वेतन पर काम करने वाले ये कर्मचारी रेगुलर स्टाफ की तरह काम तो करते हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएँ तक नहीं मिल पा रही हैं।
कर्मचारी संघ का आरोप है कि सीएम हाउस के अधिकारी आउटसोर्स कर्मचारियों की फाइल ही मुख्यमंत्री तक नहीं पहुँचा रहे, जिसके चलते 4-5 महीने का वेतन अटका हुआ है और अगले साल के लिए भी रिन्यूअल लंबित है।
पिछले दिनों आउटसोर्स कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर अपनी मांग रखी थी – निजी कंपनियों को हटाकर कर्मचारियों को सीधे भुगतान किया जाए। लेकिन अब तक कोई ठोस कदम न उठाए जाने से कर्मचारी नाराज़ हैं और भोपाल में बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
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