ग्वालियर खंडपीठ ने लोक निर्माण विभाग के उपयंत्री प्रवीण नामदेव के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 8 साल पुराने उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें उन्हें न्यूनतम वेतनमान का लाभ देने के निर्देश दिए गए थे।
हाईकोर्ट ने कहा — जब श्रम न्यायालय के आदेश के तहत वर्ष 1993 में उपयंत्री को नियमित कर दिया गया था, तो उसके बाद जारी दिशा-निर्देश लागू नहीं हो सकते।
उपयंत्री के अधिवक्ता देवेश शर्मा ने बताया कि उनके मुवक्किल को सितंबर 1993 से स्थाई वर्गीकृत कर्मचारी का दर्जा दिया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में भी बरकरार रखा और राज्य सरकार की SLP खारिज कर दी थी।
इसके बावजूद विभाग ने जनवरी 2009 के आधार पर नियमितीकरण किया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने स्थाई वर्गीकृत कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान का लाभ देने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
हाईकोर्ट ने माना कि उपयंत्री सभी हितलाभ पाने के अधिकारी हैं।
🔗 फेसबुक पर जुड़ें: https://facebook.com/thexposeexpress
📺 YouTube पर देखें: https://youtube.com/@thexposeexpress
📸 Instagram पर फॉलो करें: https://instagram.com/thexposeexpress
हम दिखाते हैं वो जो सब छुपाते हैं — The Xpose Express

