ग्वालियर
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने नगर निगम नगर निगम के उन कर्मचारियों को फौरी राहत दे दी है जिन पर मूल विभाग में वापसी की तलवार लटक रही थी।
हाई कोर्ट ने फिलहाल एक महीने के लिए अपील में गए निगम कर्मचारियों को स्थगन आदेश जारी किया है । दरअसल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने डा अनुराधा गुप्ता की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों की डिटेल रिपोर्ट मांगी थी जिसमें एक पशु चिकित्सक को निगम में स्वास्थ्य अधिकारी बना दिया गया था।सुनवाई के दौरान डिटेल रिपोर्ट में सामने आने पर पता चला कि विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने अपनी राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाते हुए नगर निगम में प्रति नियुक्ति पा ली थी। डा अनुराधा गुप्ता का यह कहना था कि एक वेटरनरी डॉक्टर को नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी बनाया गया है जबकि स्वास्थ्य अधिकारी के लिए कम से कम एमबीबीएस की डिग्री होना आवश्यक है। प्रतिनियुक्ति पर आए वेटरनरी डॉक्टर अनुज शर्मा को याचिका दायर होने के बाद निगम प्रशासन ने हटाकर उन्हें मूल विभाग में भेज दिया था। इस दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि कई कर्मचारी प्रतिनयुक्ति पर नगर निगम में नौकरी कर रहे हैं ।शासन की ओर से दलील दी गई कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई है। एकल पीठ के आदेश के बाद निगम आयुक्त सहित 61 कर्मचारी प्रभावित हुए थे ।फिलहाल इन कर्मचारियों को राहत मिल गई है ।बचाव पक्ष की ओर से तर्क दिए गए कि यह कोई अवैध नियुक्तियों का मामला नहीं है जिसे वैधानिक नियमों के विपरीत कहा जा सके। चूंकि कर्मचारियों को प्रति नियुक्ति के माध्यम से नगर निगम में स्थानांतरित किया गया था। इस मामले में कई दलीलें भी पेश की गईं। फिलहाल जून के आखिरी सप्ताह में इस मामले में फिर सुनवाई होगी। तब तक इन निगम कर्मियों को राहत रहेगी। वही नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त अनिल दुबे के केस में राज्य सरकार को उनके आचरण संबंधी मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। एकल पीठ ने दुबे के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की आदेश जारी किए थे।