📍 उदयपुर, त्रिपुरा से इस वक़्त की सबसे बड़ी खबर!
देश के रक्षक, बीएसएफ के जवान... और उन्हें भेजा जा रहा था एक चलती-फिरती कबाड़ख़ाना ट्रेन से! जी हां, ट्रेन नहीं, ट्रेन के नाम पर एक शर्मनाक मज़ाक!
👉 स्पेशल ट्रेन? या स्पेशल अपमान?
त्रिपुरा के उदयपुर से अमरनाथ यात्रा के लिए बीएसएफ की दो कंपनियों को रवाना किया जाना था। लेकिन जब कंपनी कमांडर ने ट्रेन का मुआयना किया…
तो क्या निकला सामने?
🛑 खिड़की नहीं, दरवाज़ा नहीं, छत से प्लाई लटक रही थी!
🚫 सीटों की हालत ऐसी... जैसे किसी ने कबाड़ में फेंक दिया हो।
🪳 कोच में घूम रहे थे कॉकरोच!
💥 फर्श गल चुका, छत सड़ चुकी… और ये है उस रेलवे की हकीकत, जो अपने आपको "विकसित भारत की रफ़्तार" कहता है!
💬 बीएसएफ जवानों ने विरोध जताया — और तब जाकर मिली दूसरी ट्रेन!
सोचिए… जब देश के रक्षक ही सड़क पर उतरकर अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाएं, तो सिस्टम की संवेदनशीलता पर सवाल तो बनता है!
❓ सवाल सीधा है — क्या यही है “न्यू इंडिया” की तैयारी अमरनाथ यात्रा के लिए?
❓ क्या देश के जवानों के लिए इतना ही सम्मान बचा है?
❓ और रेलवे... क्या आप इतने मजबूर हैं कि कंडम ट्रेन थमा दी?
🛑 रेलवे ने जवाब में क्या किया? हाथ खड़े!
जैसे ये जवान किसी एहसान के मोहताज हों।
लेकिन शुक्र है, जवानों ने चुप नहीं बैठने का फैसला किया।
📢 देश पूछ रहा है — जवानों को कब मिलेगा वह सम्मान, जिसके वे हकदार हैं?